Sedition Law Explained: पाकिस्तान (Pakistan) की एक अदालत ने अंग्रेजों के जमाने के राजद्रोह कानून (Sedition Law) को गुरुवार (30 मार्च) को रद्द कर दिया. इस कानून को रद्द करने को लेकर याचिकाएं दायर की गई थीं. एक याचिकाकर्ता हारून फारूक की याचिका पर सुनवाई करते हुए लाहौर हाई कोर्ट (Lahore High Court) के जस्टिस शाहिद करीम ने राजद्रोह से संबंधित पाकिस्तान दंड संहिता (PPC) की धारा 124-ए को रद्द कर दिया.
इसी के साथ अदालत ने टिप्पणी की कि यह कानून पाकिस्तान के संविधान के अनुरूप नहीं है. इस कानून की वजह से पाकिस्तान की सरकार या उसकी प्रांतीय सरकारों की आलोचना को अपराध माना जाता था. भारत में भी ऐसा कानून मौजूद है, जिसके दुरुपयोग को लेकर समय-समय पर चिंता जताई जाती है.
भारत में राजद्रोह या देशद्रोह कानून क्या है?
भारत में भी भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124-ए राजद्रोह या देशद्रोह से संबंधित है. इस धारा के मुताबिक वह व्यक्ति राजद्रोह का दोषी माना जाएगा जो बोलकर, लिखकर, इशारों या चिन्हों के जरिये या किसी और माध्यम से नफरत फैलाता है, अवमानना करता है, लोगों को उत्तेजित करता है या असंतोष भड़काने की कोशिश करता है.
आमतौर पर राजद्रोह या देशद्रोह को एक ही समझा जाता है लेकिन दोनों में अंतर है. सरकार की मानहानि या अवमानना के मामले में राजद्रोह का केस बनता है और देश की मानहानि या अवमानना के मामले में देशद्रोह के तहत व्यक्ति को दोषी माना जाता है. हालांकि, भारत में राजद्रोह या देशद्रोह दोनों ही मामलों में केस आपीसी की धारा 124-ए के तहत ही दर्ज किया जाता है.
क्या भारत में खत्म होगा राजद्रोह का कानून?
राजद्रोह का कानून ब्रिटिश सरकार भारत में लाई थी. ब्रिटेन में यह 2009 में खत्म कर दिया गया था. अब पाकिस्तान के लाहौर हाई कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया गया है. भारत में भी ऐसे सवाल उठते रहे हैं कि क्या यहां भी राजद्रोह का कानून खत्म किया जाएगा?
कानून को खत्म किए जाने के सवालों के पीछे इसके दुरुपयोग को लेकर पनपती आशंका है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जुलाई 2021 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने अपनी एक टिप्पणी में कहा था कि आजादी के 75 साल बाद भी राजद्रोह कानून की जरूरत क्यों है? उन्होंने कहा था कि अंग्रेज इस कानून को लाए थे, जिसे स्वतंत्रता संग्राम को दबाने के लिए लाया गया था. उस समय अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने राजद्रोह कानून को खत्म करने के बजाय इसके लिए दिशा-निर्देश बनाने पर जोर दिया था.
इसके बाद पिछले वर्ष जब राजद्रोह कानून का मुद्दा गरमाया तब कानून मंत्री किरेन रिजिजू कहा था कि सरकार मौजूदा समय की प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए इस कानून को संशोधित करेगी. उन्होंने देश की संप्रभुता और अखंडता को सबसे ऊपर बताते हुए कहा था कि सभी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए राजद्रोह के कानून पर पुनर्विचार किया जाएगा. कानून मंत्री की बात से इस कानून को लेकर सरकार के रुख का अंदाजा लगता है. इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि भारत में फिलहाल यह कानून पूरी तरह खत्म नहीं होगा.
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