Nagaland Elections 2023: नागालैंड में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान सोमवार (27 फरवरी) को होना है. इस बार का चुनाव कुछ अलग होने वाला है क्योंकि हो सकता है कि इस बार नागालैंड का इतिहास थोड़ा बदला हुए दिखे. नागालैंड के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि कोई महिला विधायक बनी हो. ऐसे में सभी की निगाहें चार महिला उम्मीदवारों पर होंगी जो इस उत्तर पूर्वी राज्य में विधायक के रूप में चुनी जाने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रचने की कोशिश कर रही हैं.
60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 27 फरवरी को होगा और मतगणना 2 मार्च को होगी. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सामाजिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि लगभग सभी प्रमुख सामाजिक मुद्दों में नेतृत्व की भूमिका में महिलाओं वाले राज्य के लिए कभी भी महिला विधायक नहीं थी.
कुल 13,17,632 मतदाताओं में से इस चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या 6,56,143 या 49.8 प्रतिशत है. कुल 183 उम्मीदवारों में से चार महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. होने का मुख्य कारण पारंपरिक पदानुक्रमित प्रणाली है जो पुरुषों के प्रति पक्षपाती है.
क्यों नहीं चुनी गई महिला विधायक?
आउटलुक की रिपोर्ट के मुताबिक, कोन्याक न्यूपुह शेको खोंग (केएनएसके) की मोन जिला इकाई के अध्यक्ष ने कहा, “हमें पदानुक्रम की पारंपरिक प्रणाली सौंपी गई है जहां निर्णय लेने में महिलाओं की भूमिका नहीं है. आधुनिक लोकतंत्र के तहत भी इसका पालन किया जा रहा है.” उन्होंने कहा कि महिलाएं भले ही कम संख्या में विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन कोई महिला विजेता नहीं रही है.
पोंगलेम ने विश्लेषण करते हुए कहा, “परिवार का मुखिया तय करता है कि वे किसे वोट देंगे और इससे अन्य महिलाएं भी एकजुटता दिखाने के लिए भी महिला उम्मीदवारों के लिए मतदान नहीं करती हैं. महिला उम्मीदवारों के लिए सामान्य रूप से सार्वजनिक समर्थन की कमी है.”
उन्होंने कहा, “हमें अभी तक राजनीतिक सफलता नहीं मिली है, लेकिन सामाजिक क्षेत्र में हम सक्रिय हैं. हम एक दिन वहां (विधानसभा में) भी पहुंचेंगे.” तालुकदार ने कहा कि महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि उन्हें उनके अन्य उचित अधिकार प्राप्त हों. उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए, अगर इस बार महिला विधायक चुनी जाती हैं, तो इससे स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के आंदोलन को मजबूती मिलेगी.”
वहीं, समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राजनीतिक विश्लेषक और लेखक सुशांत तालुकदार ने कहा, “यह एक विरोधाभास है कि पूर्वोत्तर के अधिकांश राज्यों में महिलाएं सामाजिक मुद्दों पर नेतृत्व की भूमिका में हैं, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में उन्हें जगह नहीं मिल पाई है.”
उन्होंने कहा, “नागालैंड में भी, वे सभी सामाजिक मुद्दों में सबसे आगे हैं, जैसे आफ्सपा-विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करना, उग्रवादी समूहों के साथ शांति वार्ता करना आदि लेकिन उनके पास पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं है.”
महिला सांसद तो है लेकिन विधायक नहीं
साल 1977 में रानो मेसे शाज़िया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के टिकट पर जीत हासिल कर लोकसभा सदस्य चुनी गई थीं. वह नागालैंड से संसद पहुंचने वाली पहली महिला थीं. उसके बाद, पिछले साल बीजेपी ने नागालैंड से राज्यसभा सदस्य के रूप में एस. फांगनोन कोन्याक को नामित किया था, जिसके साथ ही नागालैंड से कोई दूसरी महिला संसद पहुंची.
कौन हैं 4 महिलाएं इस बार खेवनहार
इन 4 महिला उम्मीदवारों में दीमापुर-3 सीट से नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) की हेखनी जाखलू, तेनिंग सीट पर कांग्रेस की रोजी थॉम्पसन, पश्चिमी अंगामी सीट पर एनडीपीपी की सलहौतुओनुओ और अतोइजू सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की काहुली सेमा शामिल हैं.
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