Maharashtra: महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे-भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) गठबंधन सरकार ने आरे मेट्रो कार शेड के स्थानांतरण और राज्य में मामलों की जांच के लिए सीबीआई (CBI) को आम मंजूरी समेत पिछली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के कम से कम आधे दर्जन फैसलो पर रोक लगा दी है या उन्हें पलट दिया है.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के बारे में राज्य सरकार का हाल ही का फैसला इस मायने में अहम है कि पिछली शिवसेना (Shivsena) नीत एमवीए सरकार ने इस जांच एजेंसी को आम मंजूरी ये कहते हुए वापस ले ली थी कि ‘राजनीतिक नफा-नुकसान के लिए इसका दुरूपयोग किया जा रहा है.’
शिंदे-बीजेपी गठबंधन सरकार को 100 दिन किए पूरे और अब…
अभी की सरकार ने इस महीने के शुरुआत में सत्ता में 100 दिन पूरे किए हैं. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के खिलाफ एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के बगावत करने और पार्टी के 55 में 44 विधायकों के साथ एक अलग धड़ा बना लेने के बाद एमवीए सरकार गिर गई थी और अभी की सरकार अस्तित्व में आयी थी. शिंदे ने इस साल जून में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) उपमुख्यमंत्री बने थे.
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नवंबर, 2019 में सत्ता में आने के बाद शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की एमवीए सरकार ने पिछली बीजेपी-शिवसेना सरकार के कुछ खास नीतिगत निर्णय पलट दिए थे. बीजेपी-शिवसेना सरकार के अगुवा देवेंद्र फडणवीस थे. शिंदे सरकार ने उन चार नीतिगत निर्णयों को वापस लाने का फैसला किया जो 2014-2019 के दौरान फडणवीस सरकार द्वारा लिये गए थे लेकिन बाद में एमवीए सरकार ने इन्हें रद्द कर दिया था. इन फैसलों में कृषि उपज विपणन समिति बाजारों में किसानों के मताधिकार की बहाली, आपातकाल के दौरान जेल में डाल दिये गए लोगों के लिए पेंशन पुन: शुरू करना, लोगों के बीच से ग्राम प्रमुख और निगम परिषद अध्यक्षों का निर्वाचन शामिल हैं.
बीजेपी-शिवसेना सरकार ने उस कानून में संशोधन कर…
महाराष्ट्र कृषि उपज व विपणन (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1963 में केवल ग्राम पंचायत, कृषि साख सोसाइटी व बहुद्देश्यीय सोसाइटियों के सदस्यों को ही समिति के सदस्यों के चुनाव की अनुमति थी लेकिन अगस्त, 2017 में बीजेपी-शिवसेना सरकार ने उस कानून में संशोधन कर किसानों को भी मताधिकार दिया था. उसे जनवरी, 2020 में एवीए सरकार ने रद्द कर दिया था.
शिंदे सरकार ने उन राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पेंशन भी बहाल की है जिन्हें आपातकाल में जेल में डाल दिया गया था. वर्ष 2017 में पहली बार फडणवीस सरकार ने यह फैसला किया था जिसे एमवीए सरकार ने 2020 में पलट दिया था और दावा किया था कि ज्यादातर लाभार्थी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता हैं.
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