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Lt Gen Anil Chauhan Takes Over As CDS China Know What Is The Biggest Challenge ANN

New CDS Of India: चीन (China) से चल रही तनातनी के बीच देश के दूसरे सीडीएस (CDS) जनरल अनिल चौहान (Anil Chauhan) ने शुक्रवार (30 सितंबर) को अपना पदभार संभाल लिया. इसके साथ ही ये भी साफ हो गया है कि अनिल चौहान अब फॉर-स्टार जनरल होंगे और उनका पद सेना के तीनों अंगों यानि थलसेना (Army), वायुसेना (Air Force) और नौसेना (Navy) के प्रमुखों से ऊपर होगा.

शुक्रवार को अपना पदभार संभालने से पहले जनरल अनिल चौहान सुबह नेशनल वॉर मेमोरियल (National War Memorial) पहुंचें और वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान उनके बुजुर्ग पिता भी मौजूद थे. इसके बाद नए सीडीएस साउथ ब्लॉक पहुंचें जहां सेना के तीनों अंगों की टुकड़ियों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया. गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी और सह-नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल एस एन घोरमाडे भी मौजूद थे (नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार इन दिनों आस्ट्रेलिया की आधिकारिक यात्रा पर हैं).

चीन सबसे बड़ी चुनौती

नए सीडीएस के तौर पर जनरल चौहान के सामने कई नई चुनौतियां हैं और देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) के कई अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करना है. सीडीएस के तौर पर पहली और सबसे बड़ी चुनौती है चीन (China). जनरल अनिल चौहान के सामने एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी एक बड़ी चुनौती है. पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन से डिसइंगेजमेंट तो हो गया है लेकिन तनाव अभी भी बरकरार है. ऐसे में एलएसी के कमांडर रहने का एक लंबा अनुभव जनरल चौहान के काफी काम आएगा. सेना के अपने 40 साल की सेवाओं के दौरान वे नागालैंड के दीमापुर में 3 कोर के कमांडर के तौर पर अरूणाचल प्रदेश से सटी एलएसी को काफी करीब से देख चुके हैं. इसके बाद डीजीएमओ यानि डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स के तौर पर वे चीन और पाकिस्तान से जुड़े ऑपरेशन्स की कमान संभाल चुके हैं. डीजीएमओ के तौर पर अप्रैल 2018 में जनरल चौहान (उस वक्त लेफ्टिनेंट जनरल थे) तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ चीन की आधिकारिक यात्रा पर भी गए थे.

एक साल सेना मुख्यालय में डीजीएमओ के पद पर रहने के बाद अनिल चौहान कोलकता (फोर्ट विलियम) स्थित सेना की पूर्वी कमान के कमांडर बनाए गए थे. पूर्वी कमान के कमांडर के तौर पर वे सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर चीन की हरकतों से अच्छी तरह वाकिफ हैं. जिस वक्त पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन से विवाद चल रहा था तब वे सिक्किम और अरूणाचलल प्रदेश से सटी एलएसी पर चीन को काबू करने में जुटे थे.

तीनों सेनाओं का एकीकर और थियेटर कमांड बनाना चुनौती

सेना के तीनों अंगों यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना के एकीकरण और थियेटर कमांड बनाना भी उनके सामने एक बड़ी चुनौती है. जनरल बिपिन रावत थियेटर कमांड बनाने पर काम कर रहे थे. लेकिन दिसम्बर 2021 में हेलीकॉप्टर क्रैश में जनरल रावत की मौत के बाद थियेटर कमान बनाने का काम थोड़ा थम गया है. ऐसे में अब ये जिम्मेदारी जनरल चौहान के कंधों पर है. जनरल रावत के समय में वायुसेना को थियेटर कमांड को लेकर अपनी रिजरवेशन थी. इसके अलावा जरनल रावत नौसेना के तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए भी तैयार नहीं थे.

अपनी योग्यता के कारण लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान जनरल बिपिन रावत के काफी करीबी माने जाते थे. यही वजह है कि जनरल रावत के निधन के बाद एनएसए अजीत डोवाल (NSA Ajit Doval) ने उन्हें नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरियएट (NSCS) में मिलिट्री एडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया. इस दौरान उन्होनें राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में योगदान देना जारी रखा.

सेना का आधुनिकीकरण

सीडीएस के तौर पर जनरल चौहान के सामने सेनाओं का आधुनिकीकरण भी एक बड़ी चुनौती है. रूस-यूक्रेन और आर्मेनिया-अजरबेजान की जंग से युद्ध के मैदान में ड्रोन, एंटी-ड्रोन और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) जैसी तकनीक भी बेहद महत्वपूर्ण हो गई है. सेनाओं को पारपंरिक युद्ध-शैली के साथ साथ मॉर्डन वॉरफेयर के लिए तैयार करना भी उनकी जिम्मेदारी होगी. जनरल रावत के समय में साइबर और स्पेस डिवीजन तो तैयार हो गई थीं लेकिन उन्हें एक सशक्त कमान बनाने की जिम्मेदारी भी नए सीडीएस के कंधों पर होगी.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से की मुलाकात

सीडीएस का पदभार संभालने के बाद जनरल अनिल चौहान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) से मुलाकात की. इसके बाद साफ हो गया कि अनिल चौहान अब फॉर-स्टार जनरल होंगे. हालांकि, पिछले साल मई में सेना की पूर्वी कमान से रिटायर होने के वक्त वे लेफ्टिनेंन जनरल रैंक के अधिकारी थी (3 स्टार). लेकिन शुक्रवार को जब उन्होनें सीडीएस का पदभार संभाला तो उन्होनें फॉर-स्टार जनरल की यूनिफॉम (वर्दी) पहन रखी थी. खुद रक्षा मंत्री के कार्यालय ने अपने ट्वीट में उन्हें जनरल की रैंक से संबोधन किया. ऐसे में ये साफ हो गया है कि उनकी रैंक लेफ्टिनेंट जनरल की नहीं बल्कि जनरल की होगी.

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