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India Should Urge Restraint And Encourage Russia US To Return To Negotiations Say Experts

India Role in Russia US Tension: रूस, यूक्रेन संकट के बीच अमेरिका के साथ परमाणु हथियार नियंत्रण को लेकर हुए समझौते को स्थगित कर रहा है. ऐसी परिस्थिति में रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को रूस और अमेरिका से संयम बरतने और बातचीत की मेज पर आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि उसके दोनों शक्तियों के संबंध है और उसके लिए भी तनाव की स्थिति नुकसानदेह हो सकती है.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार (21 फरवरी) को घोषणा की कि मॉस्को नई रणनीतिक सशस्त्र नियंत्रण संधि (स्टार्ट) में हिस्सेदारी को स्थगित कर रहा है और यह अमेरिका के साथ परमाणु हथियार नियंत्रण संबंधी आखिरी समझौता है. इसके साथ ही यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस ने पश्चिमी देशों की तीखी आलोचना की है.

पूर्व राजदूत पंकज शरण ने यह कहा

भारत के पूर्व राजदूत पंकज शरण ने कहा कि अमेरिका और रूस के बीच अगर किसी भी तरह से तनाव बढ़ता है तो यह कई कारणों से ‘रणनीतिक रूप से झटका’’ होगा. भारत के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके शरण ने कहा कि भारत को दोनों पक्षों के करीबी संपर्क में रहना चाहिए और उनके विचार को जानने के साथ परामणु हथियार नियंत्रण और निशस्त्रीकरण पर अपनी स्थापित नीति के महत्व को रेखांकित करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं निश्चित हूं कि हमारी सरकार सभी पहुलओं पर गौर से अध्ययन करेगी.’’ शरण ने कहा, ‘‘हमने हमेशा संयम का पक्ष लिया है और वैश्विक परमाणु निशस्त्रीकरण के आह्वान में हम अग्रणी रहे हैं. हमारे पड़ोसी जो परमाणु हथियार से युक्त हैं, उन्हें रूस और अमेरिका के बीच हो रहे घटनाक्रमों से गलत सबक नहीं लेना चाहिए.’’ शरण वर्ष 2016 से 2018 तक रूस में भारत के राजदूत थे.

पूर्व राजदूत अनिल वाधवा की राय

पूर्व राजदूत अनिल वाधवा ने कहा कि भारत का परमाणु हथियार और मारक प्रणाली का विकास रुका हुआ है जबकि देश न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता रखता है. इटली, ओमान, पोलैंड और थाईलैंड के पूर्व राजदूत ने कहा, ‘‘चीन और पाकिस्तान की ओर से संयम नहीं बरतने से इसका विस्तार ईरान, सऊदी अरब और उत्तर कोरिया जैसे देशों तक हो सकता है और भारत को प्रतिरोधक और मारक क्षमता में बदलाव करना पड़ सकता है.’’

उन्होंने कहा कि भारत को इस समय रूस और अमेरिका को वार्ता की मेज पर लाने के लिए ‘संयम की अपील और उन्हें प्रोत्साहित’ करना चाहिए और साथ ही जी-20 के समन्वयक के तौर पर उसे यू्क्रेन युद्ध को लेकर बने गतिरोध को दूर करने के तरीके खोजने के लिए कदम उठाने चाहिए.

यह भी पढ़ें- S Jaishankar: ‘हमें परखा जा रहा है, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भारत किसी भी हद तक जाने को तैयार’, बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

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