Categories: Politics

India Pharma Sector Indian Medicines Dominance In World, Heal In India Boost Medical Tourism

Indian Medicines: भारतीय दवाओं का दुनिया भर के तमाम देशों में दबदबा है. इसका दायरा लगातार बढ़ रहा है. दुनिया के लगभग हर देश में भारतीय दवाएं पहुंचती हैं. भारत सरकार भी फार्मा सेक्टर को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए जो-शोर से कदम उठा रही है.

यही वजह है कि भारतीय फार्मास्यूटिकल्स उद्योग, वैश्विक फार्मास्यूटिकल्स उद्योग में एक बड़ा हिस्सेदारी रखता है. दवा उत्पादन के मामले में मात्रा (volume) के हिसाब से दुनिया भर में तीसरे नंबर पर है और मूल्य (value) के हिसाब से 14वें नंबर पर है. दुनिया को जेनेरिक दवाएं मुहैया कराने में हम पहले पायदान पर हैं. मात्रा के हिसाब से जेनेरिक दवाओं के वैश्विक आपूर्ति में 20 % हिस्सेदारी भारत की है. वहीं हम वैक्सीन बनाने में भी अग्रणी देशों में शामिल हैं.

फार्मा सेक्टर में अनुसंधान और नवाचार पर ज़ोर

स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम ( WEF) की वार्षिक बैठक में  केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि  देश में आत्मनिर्भर भारत के तहत फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और विकास  के साथ नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सक्षम इकोसिस्टम बनाया जा रहा है. इसके जरिए मेडिकल उपकरणों और दवाओं के उत्पादन में दुनिया का सिरमौर बनने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए जीवन विज्ञान (Life Science) में अनुसंधान और विकास के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. इसके साथ ही पारंपरिक दवाओं के निर्माण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. हेल्थ टूरिज्म के जरिए दुनिया को बड़े स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए भारत एक मजूबत सक्षम ढांचा बनाने जा रहा है. सरकार हिल इन इंडिया (Heal In India) पहल के जरिए चिकित्सा पर्यटन को संस्थागत बनाएगी.

भारत के फार्मा उद्योग का आकार

भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग फिलहाल 50 अरब डॉलर का है. इसके 2024 तक 65 अरब डॉलर और 2030 तक 130 अरब डॉलर होने की संभावना है. इस दशक में भारत का फार्मा सेक्टर 11 से 12 फीसदी के रेट से बढ़ेगा. सबसे ख़ास बात ये है कि भारत में दवा निर्माण की लागत पश्चिमी देशों से  33% कम है. 2021-22 में 24.6 अरब डॉलर का ड्रग्स और फार्मा प्रोडक्ट निर्यात किया गया था. देश के कुल निर्यात में फार्मा सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 6 फीसदी है. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका, रूस और नाइजीरिया में भारत की दवाएं सबसे ज्यादा जाती हैं. 2014 से 2022 के बीच यानी 8 साल में भारत के फार्मा उद्योग में 103 फीसदी का इजाफा हुआ था. भारत दुनिया के शीर्ष पांच फार्मास्युटिकल उभरते बाजारों में शामिल है. जेनेरिक दवाइयों में विश्व नेता होने के अलावा भारत में अमेरिका से बाहर सबसे ज्यादा यूएस-एफडीए (US-FDA) अनुपालन वाले फार्मा प्लांट हैं. यहां 3,000 से ज्यादा फार्मा कंपनियां हैं. वहीं दक्ष मानव संसाधन के साथ साढ़े 10,500 से ज्यादा विनिर्माण सुविधाओं (manufacturing facilities) का मजबूत नेटवर्क है. इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था में फार्मा सेक्टर कितना बड़ा और महत्वपूर्ण है.

जेनेरिक दवाइयों में नंबर वन

भारत जेनेरिक दवाओं के मामलों में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले काफी आगे है. भारत में बनी जेनेरिक दवाएं अफ्रीका और अमेरिका समेत दुनिया के तमाम देशों को निर्यात की जाती हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत दुनिया के देशों को सबसे अधिक जेनेरिक दवा उपलब्ध कराने वाला देश है. वैश्विक आंकड़ों पर नजर डाले तो विदेशों में 20 फीसदी जेनरिक दवाओं का निर्यात भारत से किया जाता है. इसका सीधा मतलब है कि दुनिया भर के देशों में भारतीय दवाएं गुणवत्ता और मूल्य दोनों के लिहाज से अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी हैं. भारत में बनी जेनरिक दवाओं की मांग अमेरिका, कनाडा, जापान, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन समेत अनेक विकासशील देशों में भी है. भारत का दवा उद्योग 60 चिकित्सीय श्रेणियों में 60,000 जेनेरिक ब्रांड मुहैया कराता है. भारत, अमेरिका की 40 फीसदी जेनरिक दवाओं की मांग को पूरा करता है. वहीं हम अफ्रीका के 50% जेनेरिक दवाओं की मांग को पूरा करते हैं. इसके साथ ही ब्रिटेन की जेनेरिक समेत सभी दवाओं की मांग का 25 फीसदी हिस्सा भारत ही पूरा करता. लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के गरीब देशों की सस्ती दवा जरुरतों को पूरा करने में भारत का बहुत बड़ा योगदान है.  

जेनेरिक और ब्रांडेड जेनेरिक दवा

दरअसल जेनेरिक दवाओं की रासायनिक संरचना ब्रांडेड दवाइयों के समान ही होती है, लेकिन वे रासायनिक नामों से ही बेची जाती हैं जिनसे आम जनता परिचित नहीं होती. उदाहरण के तौर पर क्रोसिन और कालपोल ब्रांडेड दवाओं के तहत आती हैं जबकि जेनेरिक दवाओं में इनका नाम पैरासिटामोल है. अब सवाल उठता है कि जेनेरिक दवा और दूसरी दवा में क्या अंतर है. असल में जब कोई दवा कंपनी कई सालों की रिसर्च और टेस्टिंग के बाद दवा बनाती है तो उसके बाद उस दवा का पेटेंट कराती है. अमूमन किसी दवा के लिए पेटेंट 10 से 15 साल के लिए होता है. जब तक के लिए कंपनी को पेटेंट मिलता है तब तक उस दवा को सिर्फ वही कंपनी बना सकती है. लेकिन जब दवा का पेटेंट खत्म हो जाता है तब उसे जेनेरिक दवा कहा जाता है. यानी पेटेंट खत्म हो जाने के बाद कई सारी कंपनियां उस दवा को बना और बेच सकती है. लेकिन हर कंपनी की दवा का नाम और दाम अलग-अलग होता है. ऐसी स्थिति में वो दवा ब्रांडेड जेनेरिक दवा के नाम से जानी जाती है. भारतीय बाजार में मिलने वाली सिर्फ 9 फीसदी दवाएं ही पेटेंट है जबकि 70 फीसदी से ज्यादा दवाएं ब्रांडेड जेनेरिक है. प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में जेनेरिक दवाएं ही मिलती हैं.

वैक्सीन में भी हम हैं बड़े खिलाड़ी

वैक्सीन बनाने के मामले में भी भारत का दुनिया में दबदबा है. भारत की वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने कम कीमत और बेहतर गुणवत्ता की वजह से वैश्विक पहचान बनाई है. दुनिया के 60% टीकों की जरुरतों को भारत ही पूरा करता है. भारत DPT, BCG और मीजल्स के टीकों का सबसे बड़ा सप्लायर है. इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 70% टीकों की जरुरतों को भी भारत ही पूरा करता है. इसके साथ ही भारतीय दवा कंपनियों में बने सस्ते लाइफ सेविंग ड्रग्स की मांग भी पूरी दुनिया में है. भारत फिलहाल दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में वैक्सीन की आपूर्ति कर रहा है.

चीन में भारतीय दवाइयों की मांग

चीन ने जुलाई 2018 भारत की 28 दवाओं पर से आयात शुल्क में कटौती का फैसला किया था. इसमें सभी कैंसर रोधी दवाएं भी शामिल थीं. उसके बाद से ही चीन में भारतीय दवाओं की मांग और तेजी से बढ़ी है. इसके पहले  2017-18 में भारत से चीन को दवाओं के निर्यात  में 44 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी. पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत सस्ती होने की वजह से चीन में भारतीय दवाओं खासकर कैंसर से जुड़ी दवाइयों की मांग बहुत ज्यादा है. चीन में हर साल करीब 45 लाख लोग कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं. चीन में भारतीय दवाओं की मांग तब है, जब हम दवा बनाने के लिए आयात होने वाली कुल बल्क ड्रग्स या कच्चे माल में से 60% से भी ज्यादा चीन से आयात करते हैं. हालांकि अभी भी बहुत सारी भारतीय दवाओं पर चीन भारी आयात शुल्क लगाए हुए हैं. इसमें कटौती करने के लिए भारत लगातार मांग करते रहता है. अगर चीन ऐसा कर दे, तो  सस्ती होने की वजह से चीन के बाजार में भारतीय दवाओं की मांग बहुत बढ़ जाएगी.

निवेश की लिहाज से पसंदीदा सेक्टर

भारत का फार्मा सेक्टर विदेशी निवेशकों के लिए पसंदीदा सेक्टर में से एक है. ग्रीनफील्ड फार्मास्यूटिकल्स के लिए ऑटोमैटिक रूट के तहत फार्मास्युटिकल क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति है. वहीं ब्राउनफील्ड फार्मास्यूटिकल्स में 100% एफडीआई की अनुमति है, जिसमें 74% ऑटोमैटिक रूट और  बाकी हिस्सा के लिए सरकारी मंजूरी की जरुरत होती है. अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 के बीच 20.1 अरब डॉलर का एफडीआई इस सेक्टर में हुआ था. ये उस अवधि में कुल एफडीआई का तीन फीसदी है.

इलाज के लिए पसंदीदा जगह

विदेशी बाजारों में भारतीय दवाइयों का दबदबा तो है ही, विदेशी नागरिकों के लिए दवा के साथ ही इलाज के लिए भी भारत पसंदीदा जगह है. दुनिया के तमाम देशों के नागरिक इलाज के लिए भारत का रुख कर रहे हैं. इनमें विकसित देशों के निवासी भी शामिल हैं. विदेशी नागरिकों के लिए भारत मेडिकल टूरिज्म का हब बन गया है. सरकार  अब ‘Heal In India’ पहल के जरिए चिकित्सा पर्यटन को संस्थागत बनाने जा रही है. इस पहल से जुड़ने के लिए भारत ने दुनिया के तमाम देशों को न्यौता भी दिया है. मेडिकल सुविधाओं के लिहाज से विकसित देशों की तुलना में भारत में काफी कम कीमत में इलाज संभव है. भारत ने 2014 में अपनी वीजा नीति को उदार बनाया था जिसका लाभ हेल्थ टूरिज्म को भी मिल रहा है.सस्ते इलाज की वजह से भारत ग्लोबल मेडिकल टूरिज्म इंडेक्स में 10वें पायदान पर है.

2014 से ही मेडिकल वीजा में इजाफा

कोविड महामारी की वजह से पाबंदी के बावजूद 2020 में भारत में करीब दो लाख विदेशी इलाज कराने आए थे. 2014 से ही मेडिकल वीजा की संख्या में बहुत तेजी से इजाफा हुआ है.  2013 में 59 हजार 129 मेडिकल वीजा जारी किए गए. 2014 में ये आंकड़ा 75, 671 था. वहीं 2015 में करीब एक लाख 34 हजार 344 विदेशी नागरिकों ने इलाज के लिए भारत का रुख किया. 2016 में 54 देशों के दो लाख एक हजार 99 नागरिकों को मेडिकल वीजा जारी किए गए. भारत में इलाज के लिए आनेवाले विदेशी नागरिकों में एशिया और अफ्रीकी देश के लोग तो शामिल हैं ही, इनके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों के लोग भी इलाज कराने भारत आ रहे हैं. फिलहाल चेन्नई, मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद और बेंगलुरु इलाज के लिए विदेशी नागरिकों की पसंदीदा जगह है. 2016 से ही हर साल दो लाख से ज्यादा विदेशी यहां अपना इलाज करवाने आ रहे हैं. भारत में फिलहाल हेल्थ टूरिज्म 6 अरब डॉलर का बाजार है. 2026 तक इसके 13 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. ‘Heal In India’ पहल से इस सेक्टर में और तेजी से बढ़ोत्तरी होगी.

क्यों है इलाज के लिए पसंदीदा जगह?

अमेरिका और यूरोप के विकसित देशों की तुलना में भारत में इलाज सस्ता है. विश्व स्तर की चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाएं, उच्च प्रशिक्षित डॉक्टर और पेशेवर स्वास्थ्य कर्मचारियों की वजह से विदेशी नागरिकों का भारत में इलाज पर भरोसा बढ़ रहा है. भारत में परिवहन, होटल और खानपान पर होने वाला खर्च विकसित देशों की तुलना में काफी कम है. आधुनिकतम चिकित्सा तकनीक और उपकरणों की उपलब्धता भी बड़ी वजह है. भारत आयुर्वेद, सिद्ध और योग केंद्र जैसी वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों के मामले में भी धनी है, जिससे बड़ी संख्या में विदेशी इलाज के लिए भारत के प्रति आकर्षित हो रहे हैं. विदेशी मरीज ज्यादातर हृदय की सर्जरी, घुटनों का प्रत्यारोपण, लीवर ट्रांसप्लांट और कॉस्मेटिक सर्जरी के लिए भारत आते हैं. पूरे एशिया में उपचार की लागत सबसे कम भारत में आती है. भारत के लिए मेडिकल टूरिज्म विदेशी राजस्व हासिल करने का बेहतर मौका है. इसके साथ ही भारत के पास अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में चिकित्सा के क्षेत्र में केंद्रीय स्थिति हासिल करने का भी मौका है. 

ये भी पढ़ें:

India Egypt Relations: भारत-मिस्र संबंधों का नया अध्याय, मोदी-सिसी की दोस्ती नेहरू-नासिर से भी निकल जाएगी आगे

Source link

jaghit

Share
Published by
jaghit

Recent Posts

'मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना' के लिए नहीं है बजट? अब मंत्री नरेंद्र पटेल ने किया ये दावा

<p style="text-align: justify;"><strong>Madhya Pradesh News Today:</strong> भारत सहित पूरी दुनिया ने 3 साल वैश्विक महामारी…

1 month ago

Inside Hina Khan’s Pre-Birthday Celebrations With Rocky Jaiswal And Mother In Goa

Hina Khan’s birthday is on October 2. (Photo Credits: Instagram)From a stunning view of her…

1 month ago

Swiggy IPO Gets Sebi Approval: All You Need to Know About Rs 11,000-Crore Issue

Food and grocery delivery major Swiggy has received markets regulator Sebi’s clearance to launch its…

1 month ago

‘Imprints of Make in India visible everywhere’: PM Modi lauds 10 years of flagship initiative | India News

NEW DELHI: Prime Minister Narendra Modi on Wednesday lauded the efforts of each and every…

1 month ago

Waqf Amendment Bill JPC 1 Crore Emails Nishikant Dubey VHP Vinod Bansal Said it Email Jihad | वक्फ बिल पर 1 करोड़ से ज्यादा सुझाव: VHP बोली

Waqf Amendment Bill Email: वक्फ संशोधन बिल पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को सुझाव के लिए…

1 month ago

Georgia Meloni and Elon Musk date truth behind the viral photos

Meloni And Musk Viral Photos : दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ज्यादातर किसी…

1 month ago