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Gujarat Morbi Bridge Collapse 142 Years History Of Morbi Bridge

Gujarat Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में रविवार को फंक्शनल पुल के गिरने से करीब 140 लोगों की मौत हो गई. 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. अब भी कई लोग लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है. बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त ब्रिज पर 500-700 लोग थे. अब सवाल ये उठता है कि इस पुल में ऐसा क्या था कि इतनी बड़ी संख्या में लोग एक साथ जमा हुए. जबकि इस पुल की क्षमता 100 लोगों की थी. हम आपको बता रहे हैं इस पुल से जुड़ी तमाम जानकारी.

इस वजह से था आकर्षण का केंद्र

मच्छु नदी पर बने इस पुल का इतिहास करीब 140 साल पुराना था. इस पुल की बात करें तो यह गुजरात के प्रमुख टूरिस्ट प्लेस में से एक बन गया था. यहां रोज बड़ी संख्या में लोग घूमने आते थे. क्योंकि ये पुल हवा में झूलता रहता था और यह बिल्कुल ऋषिकेश के राम और लक्ष्मण झूले जैसा पुल था इसलिए बड़ी संख्या में लोग यहां आते थे. संडे को इस पुल पर एक साथ 500-700 लोग जमा हुए और पुल इतना बोझ नहीं झेल सका. पुल टूटकर नदी में गिर गया, जिससे लोग बहने लगे.  

1880 में बनवाया गया था पुल

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मोरबी में मच्छु नदी पर इस पुल का निर्माण वर्ष 1880 में पूरा हुआ था और इसका उद्घाटन मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था. उस वक्त इसे बनाने में करीब 3.5 लाख रुपये खर्च हुए थे. इस पुल के निर्माण का सारा सामान ब्रिटेन से आया था. निर्माण से लेकर हादसे से पहले तक इस पुल की कई बार मरम्मत कराई गई थी. इस पुल की लंबाई 765 फीट थी. आसान शब्दों में कहें तो यह पुल 1.25 मीटर चौड़ा और 230 मीटर लंबा था. यह पुल भारत की आजादी के संघर्ष का गवाह भी रहा है. यह भारत के सबसे पुराने पुलों में से एक था, इसलिए यह टूरिस्ट प्लेस बन चुका था. इस पुल पर जाने के लिए 15 रुपये की फीस लगती थी.

6 महीने की मरम्मत के बाद 25 अक्टूबर को खोला गया था

यह पुल पिछले 6 महीने से मरम्मत की वजह से लोगों के लिए बंद था. 25 अक्टूबर से इसे फिर से लोगों के लिए खोला गया था. इन 6 महीनों में पुल की मरम्मत पर करीब 2 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इस पुल की मेंटिनेंस की जिम्मेदारी वर्तमान में ओधवजी पटेल के स्वामित्व वाले ओरेवा ग्रुप के पास है. इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया था, इस समझौते के आधार पर ही इस पुल के रखरखाव, सफाई, सुरक्षा और टोल वसूलने जैसी सारी जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है.

यहां हुई चूक 

जिंदल ग्रुप ने  इस ब्रिज की 25 साल की गारंटी दिया था हालांकि ब्रिज पर एक साथ 100 लोगों को चढ़ने की परमिशन थी लेकिन अभी इस ब्रिज का फिटनेस सर्टिफिकेट और सरकार के तीन एजेंसियों के द्वारा जांच होना बाकी था लेकिन दीपावली में हड़बड़ी में जय सुख भाई पटेल ने अपनी पौती के हाथों इस ब्रिज का उद्घाटन कर दिया. बताया गया है कि हादसे के वक्त ब्रिज पर 500-700 लोग थे.

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