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Delhi Air Pollution: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि केजरीवाल सरकार इस साल पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को लेकर ज्यादा सतर्क है. सरकार ने फ़ैसला किया है कि इस साल पांच हजार एकड़ से ज्यादा खेतों में निःशुल्क बायो डी-कंपोजर का छिड़काव करवाएगी. इसके लिए 21 टीमों का गठन किया गया है. बायो डी-कंपोजर का छिड़काव अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू कर दिया जाएगा. दिल्ली के साथ ही पंजाब में भी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ क्षेत्रों में निशुल्क बायो डीकम्पोज़र का छिड़काव किया जाएगा.
बायो डी-कंपोजर के छिड़काव के लिए फॉर्म भरें किसान
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को आईआरएआई, पूसा द्वारा बनाई जा रही बायो डीकंपोजर घोल की प्रक्रिया और उत्पादन सुविधाओं के साथ ही डी-कंपोजर के छिड़काव की पूरी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इसके लिए अब तक 957 किसानों ने फॉर्म भरा है. फॉर्म भरने की प्रक्रिया जारी है. इस फार्म में किसान का डिटेल, कितने एकड़ खेत में छिड़काव करवाना चाहते हैं और फसल कटने का समय, सारे रिकॉर्ड्स शामिल हैं. किसान छिड़काव की तारीख भी फार्म में दर्ज करेंगे ताकि उसी हिसाब से उनके खेत में छिड़काव का इंतजाम किया जा सके.
उन्होंने कहा कि इस साल पूसा संस्थान खुद से बायो डी-कंपोजर घोल बना कर दिल्ली सरकार को मुहैया करा रही है. सरकार पूसा से डायरेक्ट बायो डी-कंपोजर घोल खरीदेगी और इसे किसानों के खेतों में निःशुल्क छिड़काव करवाएगी. पूसा ने इस बार बायो डीकम्पोज़र का एक पाउडर भी बनाया है जिसे सरकार इस बार ट्रायल के रूप में 1 हज़ार एकड़ में इस्तेमाल करने का फैसला किया है.
सर्दियों में दिल्ली की हवा हो जाती है जहरीली
मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में सर्दियों के मौसम में होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए सरकार लगातार अलग-अलग विभागों के साथ बैठक कर अपना विंटर एक्शन प्लान बना रही है. सभी विभागों को विंटर एक्शन प्लान को लेकर 15 फोकस बिंदुओं पर अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है. पराली जलाना भी सर्दियों के मौसम में प्रदूषण की समस्या को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है. ऐसे में इस समस्या से निपटने के लिए पिछले साल की तरह इस बार भी पराली गलाने के लिए खेतों में बायो डि-कंपोजर का निःशुल्क छिड़काव करने के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है.
जलानी नहीं पड़ती है पराली, खेत में गल जाती है
पिछले साल बायो डी-कंपोजर का निः शुल्क छिड़काव सरकार द्वारा किया गया था, जिसका बहुत ही सकारात्मक परिणाम मिला, पराली गल गई और खेत की उपजाऊ क्षमता में भी बढ़ोतरी देखी गई. किसानों के सामने एक समस्या यह भी रहती है कि धान की फसल की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच में समय अंतराल कम होता है. इसलिए सरकार समय रहते अभी से इस काम की तैयारियों में जुट गई है ताकि सारी कवायद में देरी भी न हो और किसानों को बेहतर परिणाम भी मिल सकें.
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