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Animal Rights Groups In South Africa Oppose Transfer Of More Cheetahs To India

Cheetahs to India: देश में चीता को बसाने की योजना को झटका लग सकता है. हो सकता है कि अब दक्षिण अफ्रीका से और चीते भारत नहीं आएं, क्योंकि वहां पर एनिमल राइट्स ग्रुप ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका में एनिमल राइट्स ग्रुप ने अपनी सरकार के मत्स्य पालन, वानिकी और पर्यावरण विभाग से भारत में चीतों के आगे स्थानांतरण को रोकने की अपील की है. 

दक्षिण अफ्रीका में स्थित एक एनजीओ EMS फाउंडेशन ने आने वाले 10 वर्षों में दक्षिण अफ्रीका से 120 जंगली चीतों को हटाने और उन्हें भारत में निर्यात करने की प्रस्तावित परियोजना के बारे में अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हुए अपनी सरकार को एक पत्र लिखा है. EMS फाउंडेशन ने कहा है कि भविष्य के लिए बिना ठोस वैज्ञानिक जानकारी के ऐसा करना सही नहीं है. 

एनजीओ ने चीता भेजने का विरोध किया

EMS फाउंडेशन ने अनुरोध किया कि साउथ अफ्रीकी मंत्रालय एहतियाती दृष्टिकोण अपनाए और परियोजना को तब तक के लिए रोक दें जब तक कि अधिक मजबूत वैज्ञानिक जानकारी और सार्वजनिक टिप्पणियां प्राप्त न हो जाएं. एनजीओ ने कहा कि यह दक्षिण अफ्रीका में चीता की आबादी और व्यक्तिगत जानवरों के कल्याण का मुद्दा है. इसमें लापरवाही नहीं बरती जा सकती. ईएमएस फाउंडेशन जानवरों के कल्याण से संबंधित मुद्दों पर, जैव विविधता का संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता से जुड़े मुद्दों को उठाता है. 

वन अधिकारी ने प्रोजेक्ट को ठहराया सही

एनजीओ ने चिंता जताई कि विभाग पुराने गैर-हानिकारक निष्कर्षों पर भरोसा कर रहा है. वहीं चीता मेटापोपुलेशन प्रोजेक्ट के प्रबंधक विन्सेंट वैन डेर मेरवे ने तर्क दिया है कि कंजर्वेशन एक वैश्विक प्रयास है और दक्षिण अफ्रीका ने जंगली चीता के प्रजनन से पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक लाभ प्राप्त किए हैं. उनका मानना है कि दक्षिण अफ्रीका का नैतिक दायित्व है कि वह इस प्राकृत्रिक संपदा को अन्य देशों के साथ साझा करे. 

जंगल में चीतों ने इलाका बना लिया

वहीं मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के बड़े बाड़े से खुले जंगल में छोड़े जाने के बाद देश का इकलौता चीता कपल यानी ओवान और आशा नए माहौल में घुल-मिल गए हैं. जंगल में आते ही उन्होंने अपना अलग-अलग इलाका तय कर लिया है और उन्होंने अलग-अलग शिकार करना भी शुरू कर दिया है. इससे कूनो नेशनल पार्क के अधिकारी खुश हैं. उन्हें उम्मीद है कि शुरुआती रुझान के आधार पर बाकी छह चीतों को भी जल्द ही जंगल में छोड़ा जा सकता है.

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