Alzheimer Disease: ब्रेन बॉडी को नियंत्रित करने का काम करता है. ब्रेन के हर हिस्से का काम होता है कि कैसे याद रखा जाए, कैसे बोला जाए और कैसे चलें. अन्य गतिविधि से होती हैं. लेकिन यदि ब्रेन में न्यूरांस या किसी स्तर पर जरा सा भी डिस्टरबेंस आ जाए तो दिमागी गंभीर बीमारियां तक जन्म ले लेती हैं. अल्जामइर ब्रेन का ऐसा ही रोग है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि डिमेंशिया कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह लक्षणों का एक समूह है. अल्जाइमर जैसी विभिन्न बीमारियों से मस्तिष्क को होने वाले नुकसान से पैदा होता है. इसके लक्षणों पर गौर किए जाने की जरूरत है.
ब्रिटेन की एनएचएस ने लक्षण, बचाव की दी जानकारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) ने अल्जाइमर के लक्षण और बचाव पर विस्तार से जानकारी दी है. एनएचएस का कहना है कि अल्जामइर के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग अलग हो सकते हैं. यह अलग अलग ही एक दूसरे व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है.
भूल जाते हैं खाना बनाना, खेलना
अल्जाइमर सोसाइटी के अनुसार, जो लोग अल्जाइमर से ग्रसित होते हैं. उनकी डेली लाइफ पूरी तरह डिस्टर्ब हो जाती है. वो अपना दैनिक काम पूरा नहीं कर पाते हैं. खाना बनाना, खेल खेलना तक लोग भूलने लगते हैं. खरीदारी करते समय मनोभ्रंश की स्थिति बन जाती हैं यानि वस्तु खरीदते में उसके पैसे, पहचान को लेकर एक तरह का मन में में भ्रम होता है. यह इसका प्राइमरी लक्षण माना जाता है.
बोलने के लिए नहीं मिल पाते सही शब्द
पीड़ित को डेली लाइपफ का काम करने में परेशानी होने लगती है. विशेषज्ञों का कहना है कि अल्जाइमर की चपेट में आया व्यक्ति जब किसी से बात कर रहा होता है तो उसे बातचीत करने में संघर्ष करना पड़ता है. उसे अपनी बात करने के लिए शब्द ढूंढने पड़ता है. वह बात करते हुए भूल जाता है कि उसे आगे क्या बोलना है?
समय और स्थानों के नाम गायब हो जाते हैं
पीड़ित के ब्रेन से समय की सटीकता और जिस जगह वो गया है या मौजूद है. उस स्थान के नाम की जानकारी तक नहीं हो पाती है. उसे समय और स्थान की जानकारी करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है. यह भी एक सामान्य प्रारंभिक लक्षण है. अल्जाइमर सोसाइटी के अनुसार, “डिमेंशिया से पीड़ित लोग अपनी ही गली में खो सकते हैं, बिना यह जाने कि वे वहां कैसे पहुंचे या घर कैसे पहुंचे.
खुद की समस्या नहीं कर पाते हल
डिमेंशिया मैमोरी लॉस करने के साथ ही बातचीत में कमी, कठिन कामों को संभालने में परेशानी होने लगती है. खुद की छोटी मोटी समस्याएं हल करने में भी कठिनाई आती हैं. स्पष्ट निर्णय लेने में भी उन्हें संघर्ष करना पड़ सकता है.
अल्जाइमर का शतप्रतिशत इलाज नहीं
एनएचएस का कहना है कि मनोभ्रंश को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है.शोधकर्ता अभी भी जांच कर रहे हैं कि यह स्थिति कैसे विकसित होती है. हालांकि, उचित जीवनशैली में बदलाव से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है. स्वस्थ रहना, संतुलित आहार खाना, स्वस्थ वजन बनाए रखना, नियमित रूप से व्यायाम करना, शराब का सेवन कम या नहीं करना, धुम्रपान छोड़ना, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखना शामिल है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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