<p style="text-align: justify;"><strong>Eye Treatment:</strong> पराली जलने के कारण लोगों में सांस संबंधी समस्याएं बढ़ने लगी हैं. दिल्ली, पश्चिमी उत्तरप्रदेश के अस्पतालों में सांस रोगियों की संख्या बढ़ने लगी हैं. डॉक्टर स्मॉग से बचाव के लिए सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं. लेकिन फेफड़ों के साथ हमें बॉडी के अन्य अंगों को भी सुरक्षित रखने की जरूरत है. आंखें बॉडी की बेहद सेंसेटिव पार्ट हैं. बहुत छोटा कण आंखों को बर्दाश्त नहीं होता. ऐसे में स्मॉग के रूप में हर तरफ फैले कार्बन के कण किस तरह से आंखों को नुकसान पहुंचा रहे होंगे. इसे आसानी से समझा जा सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि स्मॉग जहां फेफड़ो को नुकसान पहुंचा रहा है, वहीं आंखों को भी परेशानी हो सकती है. कुछ सावधानी बरतकर आंखों को सुरक्षित किया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पहले आंखों के इन लक्षणों को पहचानिए</strong><br />आंखों में यदि कोई परेशानी हो रही है तो वह इंडीकेशन देती हैं. समय रहते उन्हें पहचानने की जरूरत है. इन्हीं लक्षणों में शामिल है. आंखों में लालिमा होना, जलन होना, आंखों से पानी बहना, आंखों में अधिक खुजली, आंखों की सूजन, आंख खोलने में दिक्कत, आंखों में किरकिरापन महसूस होना, देखने में परेशानी होना, आंखों में सूखापन आना, आंखों से बिल्कुल न दिखना जैसे लक्षण होने पर तुंरत डॉक्टर को दिखाएं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>खुली आंखों से बाहर निकलने से बचें</strong><br />बाहर स्मॉग हवा में तैर रहा है. हवा में कार्बन के कण लंग्स को नुकसान पहुंचा रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि खुली आंखों से बाहर निकलने से बचें. यदि बाहर जाना है कि तो अच्छे चश्में का प्रयोग करें. गंदे रूमाल या किसी गंदे कपड़े से आंखों को बिल्कुल न पोंछे. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पानी अधिक पीए</strong><br />पानी अधिक पीना बॉडी के लिए फायदेमंद होेता है. यह सभी आर्गन को लाभ पहुंचाता है. यह आंखों के लिए भी उतना लाभकारी है. विशेषज्ञों का कहना है कि जब पानी अधिक पीते हैं तो बॉडी से टॉक्सींस निकलना शुरू हो जाते है. आंखों में होने वाली ड्राइनेस से भी राहत मिल जाती है. आंखों के नीचे मौजूद कचरे को भी आंसू साफ कर देते हैं. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आंखों को बार बार न छूए</strong><br />आंखों को सुरक्षित रखने के लिए बेहद जरूरी है कि हाथों से आंखों को कम टच करें. दरअसल, हाथ प्रत्येक वस्तु के संपर्क में आते हैं. कौन सी वस्तु पर क्या इन्पफेक्शन लगा हो. वह बैक्टीरियल, पफंगल या वायरस से जुड़ा हो सकता है. यदि उन्हीं हाथों को आंखों तक लेकर जाओगे तो आंख भी बीमार हो सकती हैं.</p>
<p><em><strong>Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि और तरीकों को केवल सुझाव के रूप में लें. किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.</strong></em></p>
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